Sunday, March 12, 2017

बच्चा ही तो है: कामिनी आंटी

मेरा नाम कामिनी है और मैं चालीस साल की शादी शुदा औरत हु. मेरे दो बच्चे है जो हॉस्टल मैं रहते है| मेरे पति दुबई मैं नौकरी करते है| नोतबंदी की वजह से पैसो की दिक्कत आरही थी. समझ नहीं आरहा था की राशनवाले का क़र्ज़ कैसे चुकाऊ| राशनवाला रोज पैसे मांगता था. कल तो हद ही हो गयी| उसने कहा, "भाभी जी, पैसो को रहने दो| आप चाहो तो मैं पूरे महीने का राशन ले कर रात को आऊ?"

मैं उसके इरादे को समझ गयी थी| जी कर रहा था जोर से थप्पड़ मार दू कुत्ते को| पर मैं कर्जदार थी| कुछ बोल नहीं सकती थी| मैंने कहा, "नहीं भाई साहब, कल तक पैसे आजायेंगे|"

मैं परेशान थी और सोच रही थी की कैसे उस हरामखोर राशनवाले के पैसे वापिस करू| तभी मेरे पड़ोसन का बेटा गोपाल आगया था| गोपाल सिर्फ पंद्रह साल का था और मुझसे बहुत घुल मिल गया था| वह आते ही मेरे पास बैठ गया और पुचा, "अरे आंटी जी क्या हुआ? क्यों परेशां दिख रही हो?"

मैंने कहा, "अरे, क्या बोलु गोपाल बेटा, नोटबंदी ने तो मेरी ले रखी है|"
गोपाल बच्चा था तो उससे थोडा बहुत मजाक कर लेती थी वह भी मुझसे मजाक कर लेता था| मुझे बुरा नहीं लगता था क्योकि वह सिर्फ पंद्रह साल का बच्चा था|
गोपाल मुझसे चिपक कर बैठ गया और पूछा, "अरे, अरे, किसने ले ली मेरी प्यारी आंटी की?"
उसके मुह पे शरारती मुस्कराहट थी|
मैंने कहा, "अरे, बदमाश मैंने कहा नोट बंदी ने मेरी ले ली| अगर ऐसा ही चलता रहा तो शायद सच्च मैं कोई न कोई मेरी ले ही लेगा|"

गोपाल मेरे जांघ पर हाथ रख कर बोला, "अरे ऐसे कैसे कोई आपकी ले लेगा?" मैंने उसको समझाते हुवे कहा, "अरे तुझे नहीं पता बेटा, औरत अगर मजबूर हो तो मर्द उसकी खूब ठुकाई कर डालता है|" गोपाल से मेरा कुछ ऐसा रिश्ता बन गया था की मैं खुल कर कुछ भी बातें कर लेती थी|

बिलकुल एक दोस्त की तरह| क्योकि वह सिर्फ एक बच्चा था और वह औरत को इस्तेमाल करने लायक अभी हुआ नहीं था| इसलिए मुझे उससे कोई खतरा नहीं था| गोपाल ने पूछा, "आंटी, आपकी ठुकाई? बाह बड़ा मज़ा आयेगा आपकी ठुकाई देखने में?" वह शरारती मुस्कराहट के साथ बोला|

मैंने उसके सर पर हल्का सा थप्पड़ मारा और कहा, "हट बदमाश, तेरी आंटी की कोई ठुकाई करेगा और तू देख कर मज़े लेगा. बेशरम कही का."
वह खिलखिला कर हसने लगा|
मैंने कहा, "अच्छा बेटा गोपाल, एक बात बता|"
गोपाल, "क्या आंटी?"
मैंने कहा, "अगर वह राशन वाला मेरी मज़बूरी का फ़ायदा उठा कर मेरी बजाएगा. तो क्या तुझे सच्च में मज़ा आयेगा| क्या तू सच्च मैं चाहता है की वह मेरी मार ले और तू मेरी ठुकाई देख देख कर मजे ले?"

वह बोला, "मैं तो उसका मुह तोड़ दूंगा आंटी| मैं तो बस मजाक कर रहा था| क्यों क्या हुआ आंटी बोलो न, क्या मज़बूरी है आपकी?"

मैंने कहा, "राशन वाले का पंद्रह हज़ार का कर्जा हो गया है और तेरे अंकल नोट बंदी की वजह से पैसे नहीं भेज पा रहे|"

वह बोला, "बस इतनी सी बात आंटी जी| आपको तो पता है न मेरे पापा कितने बड़े रिश्वतखोर है| मैं आपकी मुश्किल हल कर देता हु पर बदले मैं मुझे क्या मिलेगा आंटी?"
मैं मन ही मन खुश हो गयी और मजाक में बोली, "तू कहे तो मैं तुझसे शादी कर लू?" वो बोला, "तो प्रॉमिस करो आंटी की आज मैं आपका पति और आप मेरी पत्नी बनोगी|"

मैं मन ही मन सोचने लगी उस मुष्टंडे राशन वाले से तो येही अच्छा है| पंद्रह साल का बच्चा ही तो है, बेचारे का तो खड़ा भी नहीं होता होगा| पत्नी बना कर कुछ नहीं कर पायेगा|
मैंने सोच कर कहा, "चल प्रॉमिस किआ, आज के लिए तू मेरा पतिदेव और मैं तेरी धरम पत्नी|" वो खुश हो कर चला गया और कुछ देर बाद आया और मेरे हाथ मैं बीस हज़ार रुपये रख दिए| वो मेरे साथ सोफे पे बैठ गया और मेरे गर्दन को चूमने लगा, एक हाथ से मेरी सारी का पल्लू हटाने लगा| मैंने उसको रोकते हुवे बोला, "अरे, अरे, बदमाश क्या कर रहा है? मैं तेरी आंटी हु|"

उसने कहा, "गलत, आप मेरी पत्नी हो|" और यह कहते हुवे उसने मेरी सारी का पल्लू हटाया और एक हाथ से मेरी चूची पकड़ कर दाबने लगा|
मैं हैरान हो गयी पर सोचने लगी, चलो करने दो इसको जो मर्ज़ी| कम से कम मेरी ले तो नहीं पायेगा यह| इससे मुझे कोई खतरा नहीं |
वो मेरी चूची दाबता हुआ बोला, "आंटी आपने प्रॉमिस किआ है की आज के लिए आप मेरी पत्नी हो| अब मैं आपके साथ जो मर्ज़ी कर सकता हु|"
मैंने सोचा बच्चा बड़ा होने की कोशिश कर रहा है पर मुझे कोई खतरा नहीं इससे, "अच्छा जी, तो क्या अब मेरा बच्चा पति देव मेरी लेने की सोच रहा है?"
उसने तुरंत कहा, "हाँ बिलकुल मेरी पत्नी| आखिर मैं आपका पति हु, आपकी तो मैं लूँगा ही|"
मैं मन ही मन हस रही थी उसकी बातें सून कर और सोचा चलो देखती हु इस बच्चे को क्या क्या आता है| वैसे भी इसका इतना छोटा होगा और ठीक से खड़ा भी नहीं होगा, दाल तो पायेगा नहीं| क्यों न हाँ बोल दू?
मैंने कहा, "हाँ मैंने प्रॉमिस किआ है तो निभाउंगी भी| चलो ठीक है, आज मेरी जम कर मार लो|" मन ही मन मेरी हसी का ठिकाना नहीं था| मुझे पता था यह कुछ नहीं कर पायेगा| उसने कहा, "आंटी, आप टेबल मैं झुक जाओ, मैं पीछे से आपकी लूँगा|" मैं तुरंत टेबल पर अपने दोनों हाथ रख कर झुक गयी और अपनी चालीस साइज़ की उभारदार और बड़ी गांड को उचका दिया| मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी हसी रोक रखी थी, वो पीछे से मेरी गांड को सारी के ऊपर से सहलाने लगा| वो मेरी गांड को सहलाता और दाबता हुआ बोला, "बाह आंटी, आपकी गांड बड़ी मस्त है, आज तो आपको खूब चोदुंगा|" उसके मुह से चुदाई सून कर मैं हैरान हो गयी, "अरे, बेटा, तुझे यह सब बातें किसने सिखाई? मैं तेरी मम्मी से कह दूंगी| यह गन्दी बातें कहा से सीखी?"
वो मेरी सारी पीछे से ऊपर उठाता हुआ बोला, "अंटी, मत भूलो की आज आप मेरी पत्नी हो| और ऐसी मस्त पत्नी जिसकी हो वो तो दिन रात चोदेगा ही न आपको?" मैं टेबल पे वैसे ही झुकी रही और उसने मेरी सारी कमर से ऊपर उठा कर मेरी गांड नंगी कर दी| मैं घर पर पेंटी नहीं पहनती थी| इसलिए सारी ऊपर होती ही मेरी गोरी भरी हुई कोमल गांड गोपाल के सामने नंगी हो गयी| हे भगवन इसने तो मेरी गांड नंगी कर दी| गोपाल मेरी नंगी गांड को सहलाता हुआ बोला, "कसम से आंटी, ऐसी मस्त गांड मैंने आज तक नहीं देखि| आज आपकी मारने में बड़ा मज़ा आयेगा|"